बारिश के मौसम में बगीचे की देखभाल: करें ये ज़रूरी काम और बढ़ाएं पौधों की उम्र
मानसून का मौसम हर बागवानी प्रेमी के लिए किसी वरदान से कम नहीं होता। जब धरती पर बारिश की पहली बूंदें गिरती हैं, तो पौधों में नई जान आ जाती है। लेकिन इस मौसम में नमी, कीट, और फंगल संक्रमण के बढ़ने की संभावना भी उतनी ही अधिक होती है। ऐसे में सही देखभाल और नियमित रख-रखाव से न केवल पौधे स्वस्थ रहते हैं, बल्कि उनकी वृद्धि भी तेज़ हो जाती है।
इस लेख में हम विस्तार से बताएंगे कि बारिश के मौसम में बगीचे में कौन-कौन से काम करने ज़रूरी हैं, ताकि आपके पौधे हरियाली से भरपूर और रोगमुक्त रहें।

पानी निकासी (ड्रेनेज सिस्टम) का रखें विशेष ध्यान
अत्यधिक वर्षा से पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं, जिससे उनकी ग्रोथ रुक जाती है या वे मर भी सकते हैं। इसके लिए:
- गमलों में ड्रेनेज होल अवश्य होने चाहिए।
- बगीचे में ढलान बनाकर अतिरिक्त पानी की निकासी का इंतजाम करें।
- पानी रुकने वाले स्थानों को नियमित साफ करें।
नियमित खरपतवार निकालें
बारिश में खरपतवार (Weeds) बहुत तेज़ी से उगते हैं और पौधों के पोषक तत्व चुरा लेते हैं।
- सप्ताह में कम से कम 2 बार निराई करें।
- खरपतवार को जड़ से हटाएं, ताकि वह फिर न उगे।
- गीली मिट्टी में यह काम करना आसान होता है।
खाद और पोषण का संतुलन बनाए रखें
मानसून में बारिश पोषक तत्वों को बहाकर ले जा सकती है। ऐसे में:
- वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की खाद और जैविक खादों का प्रयोग करें।
- फूल वाले पौधों में पोटाश युक्त खाद का उपयोग करें जिससे फूल झड़ें नहीं।
- 2-3 हफ्तों के अंतराल पर खाद डालना उपयुक्त रहता है।
कीटों और फंगस से करें सुरक्षा
बारिश में वातावरण नम रहता है, जिससे फंगस, स्लग, कीड़े-मकोड़े और बैक्टीरिया तेजी से फैलते हैं।
- नीम ऑयल स्प्रे सप्ताह में 1 बार करें।
- पत्तियों के नीचे सफेद मक्खियों और कीटों की जांच करें।
- फफूंदनाशक पाउडर जैसे बोर्डो मिक्स या ट्राइकोडर्मा का प्रयोग करें।
पौधों की छंटाई (प्रूनिंग) ज़रूरी है
बारिश में पौधों की वृद्धि तेज़ होती है, लेकिन अनियंत्रित वृद्धि पौधों को कमजोर कर सकती है।
- सूखी, मरी हुई और रोगग्रस्त शाखाओं को काटें।
- फूलों वाले पौधों में फूल झड़ने के बाद डेडहेडिंग करें।
- छंटाई से नया और घना विकास होता है।
मिट्टी को समय-समय पर मुलायम बनाएं
बारिश के बाद मिट्टी अक्सर सख्त और ठोस हो जाती है, जिससे जड़ों को ऑक्सीजन नहीं मिलती।
- हल्की खुदाई या गुड़ाई करें ताकि मिट्टी में हवा जाए।
- मल्चिंग (Mulching) करें, जिससे नमी बनी रहे और खरपतवार भी न उगे।
नए पौधे लगाने का सही समय
मानसून का समय नए पौधे लगाने के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। मिट्टी में नमी होती है और पौधे जल्दी जम जाते हैं।
- सब्ज़ियों के लिए भिंडी, लौकी, तोरई, बैंगन आदि लगाएं।
- फूलों में गेंदा, ज़िनिया, गुड़हल, चंद्रमल्लिका लगाएं।
- पेड़-पौधों का प्रतिरोपण (transplantation) भी इसी मौसम में करें।
गमलों और बर्तनों की जांच करें
- अधिक पानी से गमलों में काई और फफूंदी जम जाती है।
- गमले धूप में रखें जब मौसम साफ हो।
- टेराकोटा या मिट्टी के बर्तनों में पौधों को रखें, जिससे अतिरिक्त पानी बाहर निकले।
टहनी या पत्तों पर पानी न रहने दें
बारिश के बाद पौधों की पत्तियों और टहनियों पर पानी टिक जाता है, जो फंगल इंफेक्शन का कारण बनता है।
- हाथ से या साफ कपड़े से हल्का पोछ लें।
- गमले ऐसे रखें कि हवा और रोशनी पर्याप्त पहुंचे।
बगीचे की नियमित निगरानी करें
- हर दिन या हर दो दिन में पौधों का निरीक्षण करें।
- अगर किसी पौधे में रोग दिखे, तो तुरंत उसे बाकी पौधों से अलग करें।
- कीट नियंत्रण के घरेलू उपाय जैसे हल्दी का छिड़काव, राख मिलाना आदि अपनाएं।
बारिश में बागवानी के लाभ
- पौधों की प्राकृतिक वृद्धि तेज़ होती है।
- पानी की आवश्यकता कम होती है।
- प्राकृतिक खाद (लीचेट) मिट्टी में भरपूर मिलता है।
बारिश के मौसम में बगीचे की देखभाल थोड़ी अतिरिक्त मेहनत जरूर मांगती है, लेकिन इसके फल भी उतने ही हरे-भरे और खूबसूरत होते हैं। यदि आप ऊपर दिए गए सुझावों का पालन करते हैं, तो आपके पौधे ना केवल स्वस्थ रहेंगे बल्कि मौसम के बाद भी उनकी सुंदरता बनी रहेगी।